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Showing posts from November, 2018

आओ तुम्हे एक कडवे सच की तस्वीर दिखाता हूँ !!

अपने दिल की एक छोटी सी पीडा को बतलाता हूँ ! आओ तुम्हे एक कडवे सच की तस्वीर दिखाता हूँ !! कल बीना सीट कुछ सैनिक देखे एक ट्रेन मे खडे हुए ! कुछ खोल के बिस्तर बंद थे सम्मुख शौचालय के पडे हुए !! सीट नही कन्फर्म तुम्हारी T.T. यूँ चिल्लाता था ! मार मार धक्के जनरल डब्बे की तरफ भगाता थ !! तब लगा किसी ने मुझको मेरे अन्दर से धिक्कारा है ! लगा किसी ने भारत माँ के मुहँ पर थप्पड मारा है !! तब लगा कि मैने सच मे अब हिन्दुस्तान नही देखा !  मेरे वीर जवानो का अब तक ऐसा  अपमान नही देखा !! कल ही तो मजूंर हुई थी छुटटी उन बेचारो की ! कल ही वारंट c.v.टुटी थी किस्मत के मारो की !! रात- रात मे फिर कैसे कन्फर्म सीट वो पा जाते !! लेकिन T.T.तो T.T. है उसको कैसे समझाते !! मैने ऐसा दु:खद नजारा देखा पहली बार था ! सीट पर बैठाने भर तक को कोई नही तैय्यार था !! कितनी ही ट्रेनो मे सैनिक आते जाते देखा हूँ ! औरो को भी खुद की सीटों पर बैठाते देखा हूँ !! कदम रेलवे मन्त्रालय क्यों अपने आप उठायेगा ! जब तक रक्षा मन्त्रालय द्वार न इनके जायेगा !! दिल्ली मे ये खाद...

डा. भीमराव आंबेडकर ने संविधान बनाकर हमारा सर्वनाश कर दिया। झुमरु प्रसाद

 एक बार झुमरु प्रसाद जल विभाग में इंजीनियर बन गए | आरक्षण से नौकरी मिली और मंदिर में चढ़ावा भी चढ़ा आये | थोड़ा समय हुआ तो आरक्षण से प्रमोशन भी पा गए | बड़े खुश हुए |  अब तो घर में भगवान गणेश आयोजन हुआ, सत्यनारायण कथा का आयोजन हुआ  और माता का जागरण कराकर ब्राह्मण को भोजन करवाया | समय बदला और प्रमोशन में आरक्षण ख़त्म कर दिया गया और इसके वजह से प्रमोशन पाए हुए सभी अधिकारियों कर्मचारियों का डिमोशन हो गया |  अब झुमरु प्रसाद बड़े दुखी हुए | सीधे भगवान की शरण में पहुँच गए |  भगवान भी प्रसन्न होकर तुरंत प्रकट हो गए | भगवान : कहो ! क्या परेशानी है ? झुमरु प्रसाद : हे ! प्रभु मेरा डिमोशन हो गया है | भगवान: इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ? झुमरु प्रसाद : भगवान मैं चाहता हूँ कि मेरा फिर से प्रमोशन हो जाये | भगवान: मैे क्या सेवायोजन मंत्री हूँ ,जो तेरा प्रमोशन करवा दूंगा | झुमरु प्रसाद : प्रभु ! सब कुछ आपकी मर्जी से ही तो होता है | आपकी मर्जी के बिना कुछ नहीं होता है | भगवान: अगर सब कुछ मैं ही करता तो फिर...

दहेज प्रथा - दहेज़ ना ले, औरना दे !

दहेज उत्पीड़न मोहल्ले में रहने वाली दो लडकियों मीना और सोनाली की शादी एक ही दिन तय हुई, मीना गरीब घर की लड़की थी उसके पिताजी एक छोटे किसान थे, जबकि सोनाली अमीर घराने की लड़की थी उसके पिताजी का कारोबार कई शहरो में फैला था! शादी वाले दिन मै भी पडोसी होने के नाते काम में हाथ बटाने सोनाली के घर गया, घर पंहुचा ही था की सोनाली के पिता जी लगे अपने रहीसी बताने वो बोले हमारा होने वाला दामाद सरकारी डॉक्टर है, खानदानी अमीर है पर हम भी कहा कम है २० लाख नकद एक कार और सब सामान दे रहे है दहेज़ में ! मैंने कहा ताऊ जी जब वो इतने अमीर है तो आप ये सब उन्हें क्यों दे रहे हो उनके पास तो ये सब पहले से होगा ही, वो बोले अगर ना दू तो बिरादरी मे नाक कट जाएगी पर तू ये सब नहीं समझेगा तू अभी छोटा है, खैर शाम को बारात आ गई मै खाना खाने के बाद मीना के घर की तरफ जाने लगा आखिर उसकी भी तो शादी है ! उसके घर के बहार भीड़ लगी थी मगर ना कोई गाना, ना कोई डांस, ना किसी के चेहरे पर मुस्कान, घर के और करीब जाने पर चीख-पुकार का करुण रुदन मेरे कानो को सुनाई दिया, किसी अनहोनी की आशंका से मेरे दिल जोरो से धडक...

आपस में कोई बात बिगड़ जाए तो एक को झुक कर माफी मांग लेनी चाहिए

       राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे,दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले, दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे,चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था,       दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे, चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए,       राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे,       साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन  दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा,        राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे,दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी,       इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी, आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर,       सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे,बस तीन प्राणी बचे थे,नवीन, राधिका और राधिका की माता जी,      नवीन घर...