अपने दिल की एक छोटी सी पीडा को बतलाता हूँ !
आओ तुम्हे एक कडवे सच की तस्वीर दिखाता हूँ !!
कल बीना सीट कुछ सैनिक देखे एक ट्रेन मे खडे हुए !
कुछ खोल के बिस्तर बंद थे सम्मुख शौचालय के पडे हुए !!
सीट नही कन्फर्म तुम्हारी T.T. यूँ चिल्लाता था ! मार मार धक्के जनरल डब्बे की तरफ भगाता थ !!
तब लगा किसी ने मुझको मेरे अन्दर से धिक्कारा है !
लगा किसी ने भारत माँ के मुहँ पर थप्पड मारा है !!
तब लगा कि मैने सच मे अब हिन्दुस्तान नही देखा !
मेरे वीर जवानो का अब तक ऐसा अपमान नही देखा !!
कल ही तो मजूंर हुई थी छुटटी उन बेचारो की !
कल ही वारंट c.v.टुटी थी किस्मत के मारो की !!
रात- रात मे फिर कैसे कन्फर्म सीट वो पा जाते !!
लेकिन T.T.तो T.T. है उसको कैसे समझाते !!
मैने ऐसा दु:खद नजारा देखा पहली बार था !
सीट पर बैठाने भर तक को कोई नही तैय्यार था !!
कितनी ही ट्रेनो मे सैनिक आते जाते देखा हूँ !
औरो को भी खुद की सीटों पर बैठाते देखा हूँ !!
कदम रेलवे मन्त्रालय क्यों अपने आप उठायेगा !
जब तक रक्षा मन्त्रालय द्वार न इनके जायेगा !!
दिल्ली मे ये खादी वाले देखो कुछ ना बोल रहे !
ओर ट्रेनो मे वर्दी वाले धक्के खाते डोल रहे !!
कुछ तो ऐसे नियम लाओ सुन लो इन मनुहारों की !!
कन्फर्म सीट हो सैनिक को और सैनिक के परिवारो की !!
जान झोकने वालो का भई इतना तो हक बनता है !
चलो बता दो मेरे मत से सहमत कितनी जनता है !!
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आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जी।
अपनी राय दे इसे और बेहतर कैसे किया जाये।
धन्यवाद