एक बार झुमरु प्रसाद जल विभाग में इंजीनियर बन गए |
आरक्षण से नौकरी मिली और मंदिर में चढ़ावा भी चढ़ा आये |
थोड़ा समय हुआ तो आरक्षण से प्रमोशन भी पा गए |
बड़े खुश हुए |
अब तो घर में भगवान गणेश आयोजन हुआ, सत्यनारायण कथा का आयोजन हुआ
और माता का जागरण कराकर ब्राह्मण को भोजन करवाया |
समय बदला और प्रमोशन में आरक्षण ख़त्म कर दिया गया
और इसके वजह से प्रमोशन पाए हुए सभी अधिकारियों कर्मचारियों का डिमोशन हो गया |
अब झुमरु प्रसाद बड़े दुखी हुए |
सीधे भगवान की शरण में पहुँच गए |
भगवान भी प्रसन्न होकर तुरंत प्रकट हो गए |
भगवान : कहो ! क्या परेशानी है ?
झुमरु प्रसाद : हे ! प्रभु मेरा डिमोशन हो गया है |
भगवान: इसमें मैं क्या कर सकता हूँ ?
झुमरु प्रसाद : भगवान मैं चाहता हूँ कि मेरा फिर से प्रमोशन हो जाये |
भगवान: मैे क्या सेवायोजन मंत्री हूँ ,जो तेरा प्रमोशन करवा दूंगा |
झुमरु प्रसाद : प्रभु ! सब कुछ आपकी मर्जी से ही तो होता है | आपकी मर्जी के बिना कुछ नहीं होता है |
भगवान: अगर सब कुछ मैं ही करता तो फिर संविधान की जरुरत ही क्या थी ?
डा. भीमराव आंबेडकर ने संविधान बनाकर हमारा सर्वनाश कर दिया |
झुमरु प्रसाद प्रभु आप ये क्या कह रहे हैं ?
भगवान्: अगर हमारा वश चलता तो तुम्हारे जैसे शूद्र लोगो को पढ़ने ही नहीं देते |
इसीलिए हजारों साल तक
तुम्हारे वंशजों को शिक्षा, संपत्ति और स्वतंत्रता से वंचित रखा गया था, लेकिन अंग्रेजो का सहयोग लेकर भीमराव अम्बेडकर ने हमारे साम्राज्य का सत्यानाश कर दिया.
झुमरु प्रसाद : प्रभु मैंने तो आपको नौकरी लगने से लेकर प्रमोशन होने तक हर जगह चढ़ावा चढ़ाया था, आपने तब क्यों नही बताया |
*भगवान* : अरे जब हमने *पढ़ने का ही अधिकार नहीं दिया* तो नौकरी और प्रमोशन कैसे दे सकते हैं ?
*नौकरी प्रमोशन तुमको संविधान से मिले हैं*
परन्तु तुम *मुर्ख* चढ़ावा यहाँ चढाने आते हो।
*मेरा कहने का मतलब है कि हमारे समाज में ऐसे अनगिनत झमरु प्रसाद है जो नौकरी तो मिली है संवैधानिक आरक्षण के बदौलत लेकिन जाते है मंदिर के तरफ* अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर कीजिए ।
*🙏🏻👏🏻जय भीम जय मूलनिवासी👏🏻🙏🏻*
*🙏🏻👏🏻जय भारत जय संविधान👏🏻🙏🏻*
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आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जी।
अपनी राय दे इसे और बेहतर कैसे किया जाये।
धन्यवाद